
अगर हमारे आस-पास कुछ गलत हो रहा है तो हम क्या कर सकते हैं? आन्दोलन कर सकते हैं? बंदूक उठा सकते हैं? या शायद खुद को आग लगा कर अपना गुस्सा प्रकट कर सकते हैं। हमारे देश में अब तक जिस इन्सान ने गलत का सबसे संगठित विरोध किया, उसमे सबसे ऊपर महात्मा गाँधी का नाम आता है। जरुरी नहीं है कि बदलाव लाने के लिए हथियार ही उठाया जाय। मोहन दास करम चन्द गाँधी को ये बात तब समझ आई, जब ट्रेन में चलते हुए उन्होंने एक किताब पढ़ी अन टू दी लास्ट ।
अगर दार्शनिक ढंग से देखा जाए तो इन्सान के जीवन का परम उद्देश्य सुख और शांति की प्राप्ति है। इन्सान जो कुछ भी करता है उसका निहित यही होता है। जब पहली बार सायकिल का अविष्कार हुआ होगा तो लोग कितने खुश हुए होंगे? सायकिल एक यांत्रिक अविष्कार था , लेकिन उसकी उत्पत्ति भी एक विचार यानि आइडिया से ही हुई होगी।यानि इन्सान के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण है विचार (आईडिया)।
आज भी हम जिस व्यवस्था में रहते हैं उसमे सबसे ज्यादा पावर, पैसा और लोकप्रियता किनके पास है? नेताओं, अभिनेताओं और खिलाडियों के पास। आखिर कितने माँ-बाप अपने बच्चों को इनमे से किसी भी एक फील्ड में भेजना चाहते हैं। शायद कोई नहीं। क्यूंकि हमारे युवा या तो राजू की तरह डरे हुए हैं या फरहान की तरह समाज के दबाव में जी रहे हैं या फिर जॉय लोगो (शांतनु मोइत्रा) की तरह किसी प्रोफेसर के गुस्से का निशाना बनकर आत्म हत्या कर लेते हैं।
सिस्टम कितना भी भ्रष्ट हो जाए वो बदलाव की बयार को रोक नहीं सकता। हर सिस्टम में नए आईडिया देने वाले पैदा हो ही जाते हैं। फिल्म में ये काम रणछोड़ दास चांचर करता है और असल जिंदगी में राज कुमार हिरानी जैसे लोग । सिर्फ एक विचार दुनिया को बदल सकता है। अब देखना ये है कि ये बदलाव कितने मासूमों और युवाओं की जिंदगी की क़ुरबानी के बाद होता है।