क्या अक्सर ये बताया जा सकता है कि, आप खुश हैं?
या ये कि आप खुश नहीं हैं?
कई बार हम बताना चाहते हैं, लेकिन बता नहीं पाते,
कई बार हम कहना चाहते हैं , लेकिन कोई सुनने वाला नहीं होता ।
क्यूँ ऐसा होता है कि हम चाहकर भी कह नहीं पाते,
कह कर भी बता नहीं पाते,
क्या जीना सच में इतना मुश्किल है?
क्या खुश रहना इतना मुश्किल है?
कहाँ है ख़ुशी ?
हमारी सफलता में?
हमारे रिजल्ट कार्ड में ?
हमारे प्रमोशन में ?
टी. वी. सिरीयल में?
मल्टीप्लेक्स में?
डिस्को-थेक में?
स्कूल में?
कॉलेज में?
ऑफिस में...
अक्सर मै खुश महसूस करता हूँ,
जब अकेला होता हूँ,
जब दोस्तों के साथ होता हूँ,
जब कोर्स से अलग कोई किताब पढ़ता हूँ,
जब घर का खाना खाता हूँ,
जब स्कूल से घर जाता था,
जब ऑफिस से निकल आता हूँ,
जब किसी के साथ हँसता हूँ,
जब किसी को हँसाता हूँ,
जब-जब अपने मन की करता हूँ,
तब-तब मेरे सिवाए सब नाखुश होते हैं,
मन करता है कि कुछ नया करूँ,
कुछ अलग करूँ,
कुछ ऐसा करूँ , जिससे किसी को हँसा सकूँ,
किसी को जीता सकूँ, किसी को विश्वास दिला सकूँ,
कि वो भी खुश हो सकता है,
कि वो भी वो सब कर सकता है जो उसका मन करता है।
फिर डर जाता हूँ कि,
क्या ऐसा करके बड़ा घर बना सकूँगा?
क्या ऐसा करके बड़ी गाड़ी खरीद सकूँगा?
क्या ऐसा करके मल्टीप्लेक्स में जा सकूँगा?
क्या ऐसा करके लेवाइस की जींस पहन सकूँगा?
फिर भी ऐसा करके मै खुश क्यूँ हो जाता हूँ?
जबकि और कोई भी मेरे घर में खुश नहीं होता,
जबकि घर में सब चाहते हैं कि मै खुश रहूँ।
संजीव श्रीवास्तव
4 comments:
यही जिन्दगी है..खुश रहिये!! हम भी यही चाहते हैं.
Nahi , bilkul nahi.. jab main sadak ke kinare patali si chadar me thand me simte logon ko dekhta hun , jab raat me os me bhige pille ko dekhata hun, jab raat me khomche per mungfali bechate buddhe ko dekhta hun, jab yun hi footapth per akele chalte sapane dekhata hun to lagata hai jeena itan amushkil to nahin .. hansna itana mushkil to nahin.. khush rahana itana muishkil to nahin
Bahut khoob bhai
Bahut khoob bhai
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