Sunday, 22 January 2012
कहानी एक साइकिल वाले की, जिस पर बनीं एक नहीं तीन-तीन फिल्में
...'सुपारी किलर' एपिसोड - 4
गुजरात के सबसे बड़े स्मगलर 'सुकुर नारायण बखिया' के संपर्क में आने के बाद 'मस्तान मिर्जा' ने स्मग्लिंग की दुनिया में काफी नाम कमाया और अब मुंबई की काली दुनिया में उसका नाम 'ब्लैंक चेक' बन चुका था. इस नाम की रसीद पर जितने रुपये जिससे चाहे लिए जा सकते थे.
केन्द्रीय मंत्री ने किया अनशन, तब गिरफ्तार हुआ हाजी
जब दिल्ली में सरकार का तख्ता हिला तो इसका असर स्मग्लिंग के काले कारोबार पर भी पड़ा. आपातकाल की कड़ाई ने मस्तान मिर्जा को भी सलाखों के पीछे पहुंचा दिया. हालांकि ऐसा भी कहा जाता है कि जब एक केन्द्रीय मंत्री ने अनशन किया तब जाकर मस्तान मिर्जा को गिरफ्तार किया जा सका. इस बात से मस्तान मिर्जा के प्रभाव का अंदाजा लगाया जा सकता है.
इस वक़्त तक मस्तान भले ही स्मग्लिंग की दुनिया का बड़ा नाम बन चुका था, लेकिन आम लोगों या मुंबई के गुंडों के लिए अभी भी ये नाम अनजान बना हुआ था. इसका बड़ा कारण था कि मस्तान तमिलनाडु का रहने वाला था और उसे 'हिंदी' बोलना नहीं आता था.
जेल में सीखी आम आदमी की जुबान और बन गया 'हाजी मस्तान'
जेल में बिताए गए उसके 18 महीनों ने उसके जबान में रह गई इस कमी को भी पूरा कर दिया. यहां उसने हिंदी बोलना भी सीख लिया. जेल से निकलने के बाद मस्तान का अंदाज और उसका मकसद बदल चुका था.
इसका कारण जेल की सलाखें थीं या कुछ और, कहना मुश्किल है. यहां से निकलने के बाद वह मक्का की यात्रा पर गया और वहां से लौटने के बाद उसने खुद को 'मस्तान मिर्जा' की जगह 'हाजी मस्तान' कहलाना शुरू कर दिया.
कहते हैं जेल से आने के बाद मस्तान ने अपने सारे काले धंधों से नाता तोड़ लिया और फिल्मी दुनिया में कदम रखा. 'मेरे गरीब नवाज' उसकी पहली फिल्म थी, जिसमे उसने पैसा लगाया. कहते हैं यह फिल्म हाजी मस्तान की जिंदगी का ही फिल्मी रूपांतरण थी.
डॉन ने बदल दिया अपना रास्ता क्योंकि...
अपने रुतबे और पैसे के बल पर जल्द ही वह फिल्मी दुनिया के बड़े-बड़े लोगों के साथ उठने-बैठने लगा. एक ओर जहां वह दिलीप कुमार और शशि कपूर के साथ फिल्मों पर चर्चा करता वहीं दूसरी ओर अंडरवर्ल्ड की दुनिया के दो बड़े दादा (करीम लाला और वरदराजन मुदलियार) उसे अपने साथ मीटिंग करने के लिए बुलाते थे.
जल्द ही 'हाजी मस्तान' का नाम देश के बड़े और सफल फिल्म डिस्ट्रीब्युटर्स में गिना जाने लगा. उस जमाने के सफल फिल्मी सितारों धर्मेन्द्र, फिरोज खान, राज कपूर और संजीव कुमार के साथ उसके काफी नजदीकी सम्बन्ध बन चुके थे. कहा ये भी जाता है कि जब सलीम खान फिल्म 'दीवार' बना रहे थे तो उनका और अमिताभ बच्चन का हाजी के घर अक्सर जाना-आना होता था.
दरअसल, फिल्म दीवार एक माफिया पर केन्द्रित फिल्म थी जिसमे 786 नंबर का बिल्ला पहना हुआ व्यक्ति (अमिताभ बच्चन) तब तक जिन्दा रहता है जब तक बिल्ला उसके साथ होता है. इसके अलावा 'मुकद्दर का सिकंदर' और 'once upon a time in mumbai ' के बारे में भी ये माना जाता है कि ये फिल्में भी हाजी मस्तान की जिंदगी से ही प्रभावित थीं.
डॉन और स्मगलर के साथ-साथ हाजी मस्तान एक रोमांटिक इंसान भी था. हाजी के फिल्मी दुनिया में कदम रखने की बड़ी वजह कुछ ख़ास फिल्मी नायिकाओं के प्रति उसका लगाव भी माना जाता है. 'सुपारी किलर' की अगली कड़ी में हम आपको हाजी मस्तान के प्रेम संबंधों और उसकी आलिशान लाइफ स्टाइल से रूबरू कराएंगे.
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