Tuesday 27 March 2012
जब दुनिया के सबसे खूंखार आका का दुश्मन बना उसका ही एक वफादार
'...सुपारी किलर' एपिसोड-7
लालच और गलत संगत ने दाउद को सिर्फ एक अपराधी ही नहीं, बल्कि एक आतंकवादी बना दिया था जिसका मकसद अपने फायदे के लिए किसी को भी नुकसान पहुँचाना था, भले ही वह अपना वतन ही क्यों न हो. उसके इसी लालच ने दाउद गैंग में ही उसके सबसे वफादार साथी को उसका दुश्मन बना दिया.
'राजेंद्र सदाशिव निखालजे' उर्फ़ 'छोटा राजन' जिसे दाउद का दाहिना हाथ कहा जाता था ने 1993 में हुए मुंबई बम धमाके के बाद न सिर्फ खुद को दाउद से अलग कर लिया, बल्कि उसने उन सब लोगों को ठिकाने लगाने की भी सोच ली जिन्होंने भारत के निर्दोष लोगों को निशाना बनाया था.
मुंबई बनी गैंगवार की राजधानी...
यहीं से छोटा राजन और दाउद गिरोह के बीच गैंगवार की शुरुवात हुई. डी-कंपनी छोड़ने के साथ ही अपने कुछ साथियों (मोहन कुट्टियन, साधू शेट्टी और जसपाल सिंह) के साथ छोटा राजन दुबई में जाकर बस गया.
जबकि उसे सबक सिखाने के लिए मुंबई में छोटा राजन के सबसे करीबी दोस्त रमानाथ पय्यादे की जून 1995 में दाउद के गुर्गों ने हत्या कर दी.
इससे पहले डी-कंपनी ने छोटा राजन के करीबी कहे जाने वाले फिल्म प्रोड्यूसर 'मुकेश दुग्गल' की हत्या करवा दी थी. छोटा राजन को सबक सिखाने के लिए दाउद का तरीका दिन पे दिन खौफनाक होता जा रहा था. उसे कमजोर करने की फिराक में दाउद हर उस शख्स को निशाना बना रहा था जिससे छोटा राजन के सम्बन्ध थे.
इस कड़ी में अगस्त 1995 में एक बड़ी घटना हुई जब राजन के करीबी रहे शार्प शूटर सुनील सावंत की भी मुंबई में हत्या हो गई. इसके अलावा राजन के दोस्त और मुंबई के बिल्डर ओ पी कुकरेजा की भी दाउद के गुर्गों ने हत्या कर दी.
छोटा राजन ने दिया डी-कंपनी को जोर का झटका
अब मौका था छोटा राजन के पलटवार का. उसने सबसे पहले ईस्ट वेस्ट एयरलाइंस के प्रबंध निदेशक थाकियुद्दीन वाहिद को निशाना बनाया जिसे किराए के किलर ने बम धमाके में उड़ा दिया.
लेकिन सबसे सनसनीखेज वारदात थी नेपाल के एक पूर्व मंत्री व संसद सदस्य मिर्ज़ा दिलशाद बेग की हत्या. दरअसल बेग को नेपाल में दाउद का सबसे ख़ास आदमी माना जाता था.
मुंबई बम धमाके के आरोपियों का फैसला किया छोटा राजन गिरोह ने...
इसके बाद छोटा राजन ने एक-एक कर उन सभी को निशाना बनाना शुरू किया जिहोने मुंबई बम धमाके का जाल बुना था. इसमें सबसे पहला शिकार सलीम कुर्ला था, जिसकी अप्रैल 1998 में हत्या हुई. इसके बाद जून में मोहम्मद जींदरान और मार्च 1999 में माजिद खान को भी राजन ने ठिकाने लगवा दिया.
हालांकि इसी दौरान डी-कंपनी ने शिवसेना के एक नेता मोहम्मद सलीम की भी हत्या करवा दी. ऐसा भी कहा जाता है कि इस घटना के बाद महाराष्ट्र की भाजपा सरकार छोटा राजन के पक्ष में हो गई और उसे रानीतिक संरक्षण भी मिलने लगा.
यहां तक कि शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में ये लिखा गया कि पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई छोटा राजन की हत्या कराने की फिराक में है.
फरवरी 2010 में छोटा राजन गिरोह ने जामिम शाह की हत्या करवा दी. माना जाता है कि वह नेपाल में एक बड़ी मीडिया हस्ती था और दाउद का समर्थक भी.
शाह के आईएसआई से भी सम्बन्ध थे और वह भारत में जाली मुद्रा पहुंचाने वाले गैंग का सरगना भी था. हालांकि उसके भारत विरोधी कामों से भारत सरकार लम्बे समय से परेशान थी. जिसे एक झटके में ही छोटा राजन ने ठिकाने लगा दिया.
'...सुपारी किलर' की अगली कड़ी में पढ़िए कैसे फिल्मों की टिकट ब्लैक करने वाला एक आम लड़का बन गया छोटा राजन...
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment