नेहा के कॉलेज में वैसे तो और भी कई लड़के थे लेकिन, राहुल अकेला ऐसा लड़का था जिससे नेहा सहित सारी लड़कियां बात करती थीं। कॉलेज में आने से ठीक पहले राहुल का अपनी गर्लफ्रेंड से ब्रेकप हुआ था और वो हर समय डिप्रेशन में रहता था।
लेकिन कॉलेज में आने के बाद जल्द ही वो सारी लड़कियों से घुल-मिल गया। नेहा से उसकी सबसे ज्यादा बातचीत होती। उसकी ये हालत नेहा से देखी नहीं जाती थी इसलिए वो राहुल को समझाने की हर कोशिश करती। ये सिलसिला चलता रहा और इसी दौरान न जाने कब राहुल को नेहा से प्यार हो गया। एक दिन राहुल ने नेहा को अकेले में बुलाया और उससे 'आई लव यू' बोल दिया। नेहा ने राहुल को उसी समय सीधा जवाब दिया - बट, आई डोंट।
जिस वक़्त नेहा ये सब जय को बता रही थी उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था। ठीक वैसे ही जैसे भिखारी को भीख देते समय हमारे चेहरे पर कोई भाव नहीं होता। जय से रहा नहीं गया और उसने पूछ ही दिया - क्या तुम्हें उस पर बिल्कुल दया नहीं आई?
नेहा - मैं क्या करती। मैंने उसे पहले ही बता दिया था कि शादी करने के लिए मेरी कुछ शर्तें हैं और जो लड़का उस पर खरा उतरेगा मैं उससे ही शादी करूंगी।
इसमें पहली शर्त थी कि लड़का अपनी जाति का हो। उसका अच्छा दिखना दूसरी जरूरी शर्त थी। अपना घर सहित अच्छी नौकरी होना तो जरूरी था ही। राहुल इसमें से पहली शर्त ही पूरी नहीं करता था।
असल में नेहा जिस तरह के परिवेश से आई थी वहां शादी एक रस्म है, एक ऐसी परंपरा है जिसका सीधा संबंध परिवार की इज्जत से जुड़ा होता है। आश्चर्य की बात ये कि 21वीं सदी शुरू होने के एक दशक बीत जाने के बावजूद खुद को मॉडर्न और यंग कहने वाली लड़की भी इस परंपरा को सिर्फ इसलिए स्वीकार करती है क्योंकि ऐसा न करने पर उसके मां-बाप को दुख होता।
इसमें कोई दो राय नहीं कि दुनिया में सबसे कठिन काम अपनों से लड़ना है। ऐसी ही दुविधा से अर्जुन को बाहर निकालने के लिए श्रीकृष्ण को अपना दिव्य रूप प्रकट कर अर्जुन को समझाना पड़ा था कि ये लड़ाई अपने और पराए की नहीं, धर्म और अधर्म की है। हालांकि अब ये बात बहुत पुरानी हो चुकी है।
शादी की शर्तों वाली बात सुनकर जय को लगा जैसे वो किसी ऐसी लड़की से बात कर रहा हो जिसने रिश्तों की मजबूरी के आगे तर्क और विवेक के अपने सारे हथियारों को ताक पर रख दिया हो। न जाने क्यों उसे नेहा का कद अचानक ही कुछ छोटा दिखने लगा।
जय सोचने लगा कि महाभारत के काल से लेकर आज तक ज्यादातर मौकों पर इंसान हर वो लड़ाई हारता रहा है जहां सामने कोई दुश्मन नहीं बल्कि, अपने खड़े हों। हालांकि, वो अब तक इस बात को पचा नहीं पा रहा था कि नेहा ने राहुल के प्रेम प्रस्ताव को सिर्फ इसलिए ठुकरा दिया था क्योंकि वो शर्तों वाली लिस्ट के मुताबिक नहीं था।
शायद नेहा की कोई और मजबूरी भी रही होगी लेकिन, उस वक़्त उसने खुल के कुछ नहीं कहा। बड़े ही बेरुखे अंदाज में बस इतना ही बोली- मैंने थोड़े ही कहा था कि तुम मुझसे प्यार करो! तुमने किया था तो गलती तुम्हारी है...तुम भुगतो।
नेहा की ये बात बिलकुल सच है कि प्यार करने से पहले इंसान न तो सामने वाले से परमिशन लेना जरूरी समझता है और न ही जाति धर्म के बंधनों को देखता है। दुनिया न जाने कितनी सदियों से प्यार करने वालों को ये बात समझाने की कोशिश कर रही है लेकिन, प्यार करने वाले हैं कि किसी भी युग में इसे समझने के लिए तैयार ही नहीं हैं। ठीक वैसे ही जैसे गीता में कृष्ण के उपदेश के बावजूद अपनों के आगे इंसान हारता आ रहा है।
नेहा शायद ये बात समझ पाती अगर उसे भी किसी से प्यार हुआ होता। नेहा ने खुद ही जय को बताया कि उसे कभी किसी से प्यार हुआ ही नहीं।
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