Wednesday 29 August 2018

उसका बाइक पर बैठना लोगों को खटक गया

नेहा के घर से कॉलेज की दूरी इतनी थी कि उसे दो जगह बस बदलनी पड़ती थी। उस रास्ते से तमाम लड़के-लड़कियां आते-जाते थे जिनमें से एक राहुल भी था। वो बाइक से कॉलेज आता-जाता था और नेहा की ही क्लास में पढ़ता था। जल्द ही दोनों में जान-पहचान हो गई। कॉलेज छूटने के बाद नेहा बाइक पर उसके साथ ही बस स्टॉप तक जाने लगी लगी।

दोनों के बीच अच्छी बनने लगी थी। एक दिन बातों-बातों में राहुल ने नेहा से पूछा - यार आज कहीं घूमने चलें क्या? देख न मौसम कितना अच्छा हो रहा है।

पिछले एक महीने से पड़ रही जला देने वाली गर्मी के बीच आज सुबह से बादल मेहरबान थे। बारिश तो नहीं हो रही थी लेकिन, हवा में मौजूद खुशनुमा नमी बता रही थी कि आस-पास बादल जम के बरसे हैं। मौसम देखने के बाद मन तो नेहा का भी बहुत था लेकिन, वो ये बात कह नहीं पा रही थी। जैसे ही राहुल ने उसके सामने प्रस्ताव रखा वो एकदम से चहक उठी। लेकिन फिर तुरंत ही उसने खुद को संभाल लिया और अनमने मन से बोली - यार, आज तो मुझे जल्दी घर पहुंचना है। घर पर कुछ मेहमान आने वाले हैं और मम्मी अकेले परेशान हो रहीं होंगी। तुम निकल जाओ, मैं आज पैदल ही बस स्टॉप तक चली जाउंगी, मौसम भी तो अच्छा ही है अभी।

राहुल ने नेहा के चेहरे से एक ही पल में गुजरे कई भावों को देख लिया था। उसने थोड़ा गंभीर हो के पूछा - क्या कोई दिक्कत है? कम से कम अपनी परेशानी तो तुम मुझे बता ही सकती हो। हां... हो सकता है कि मैं तुम्हारी उलझन सुलझा न सकूं लेकिन, तुम्हारे दिल का बोझ तो हल्का हो ही जाएगा।

लड़कियों में न जाने ऐसी कौन सी खासियत होती है कि उनके दिमाग के अंदर और चेहरे पर दिख रहे भावों के गैप को वो इतनी तेजी और आसानी से मैनेज करती हैं कि सामने वाला बस देखता ही रह जाता है। नेहा ने खुद को संभालते हुए जवाब दिया - अरे यार, इतना सीरियस होने की कोई जरूरत नहीं है। वैसे भी फैमिली के मामले मैं बाहर वालों के साथ डिस्कस नहीं करती।

नेहा के इस जवाब ने राहुल को एक पल के लिए सकते में डाल दिया, लेकिन उसने भी खुद को तुरंत ही संभालते हुए बोला - अरे यार मुझे क्या पड़ी है तेरे फैमिली मैटर में पड़ने की, मैंने तो बस यूं ही तुझसे पूछ लिया लेकिन तू तो भाव ही खाने लगी। चल कोई नहीं, तू अपने मेहमान संभाल, मैं तो चला तफरी पर।

राहुल की ये बेरुखी नेहा को बुरी तो लगी लेकिन, असल में उसकी परेशानी की वजह दो दिन पहले बस स्टॉप पर कॉलेज की लड़कियों की वो बातचीत थी जिसे चुपके से उसने सुन लिया था।

उस दिन लड़कियां गॉसिप में ऐसी मशगूल थीं कि उन्हें नेहा के बस स्टॉप पर आने का पता ही नहीं चला। लड़कियों के झुंड में से ही किसी ने कहा - यार आजकल तो नेहा की चांदी ही चांदी है। कॉलेज से निकलते ही मैडम के लिए गेट पर ही बाइक लगी रहती है। मैडम बैठती हैं और फुर्र हो जाती हैं।

तभी दूसरी लड़की ने कहा - हां भाई, सबकी किस्मत कहां इतनी तेज होती है कि कॉलेज से निकलते ही एंटरटेनमेंट का सामान खुद चलकर आए और आपकी हर सेवा करे।

इतना सुनते ही लड़कियों का पूरा झुंड इतनी जोर से हंसा कि बस स्टॉप पर खड़ा हर शख्स उनकी ओर ही देखने लगा। नेहा, ने समझ लिया कि इस बात को तिल का ताड़ बनते देर नहीं लगेगी। वो किसी भी हालत में अपनी पढ़ाई पर आंच नहीं आने देना चाहती थी, बस इस फैसले ने ही आज अचानक नेहा को इतना कठोर बना दिया कि उसने अनजाने में ही राहुल से वो सब कह दिया जो वो कहना नहीं चाहती थी। राहुल के जाने के बाद काफी देर तक नेहा अकेली ही बस स्टॉप पर खड़ी रही।

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