Wednesday 29 August 2018

'मेट्रो तक का साथ'

आज सुबह से ही दिल्ली में खूब बारिश हो रही थी, इसलिए कम ही लोग काॅलेज आए थे। राहुल ने नजदीक ही रूम ले रखा था इसलिए बारिश शुरू होने से पहले ही वो काॅलेज पहुंच गया था। नेहा भी किसी तरह आ गई थी।
दिल्ली में कुछ देर की भी बारिश जी का जंजाल बन जाती है। हर चैराहे पर जाम और हर मोड़ पर वाटर लाॅगिंग आम बात है। काॅलेज के आॅफिस स्टाफ के लोगों के अलावा टीचर्स भी जाम में फंसे हुए थे। बारिश की वजह से बाहर मौसम ठंडा हो गया था जिसका असर क्लास रूम में भी था। एसी रोज की ही तरह चल रहा था, लेकिन क्लास रूम काफी ठंडा हो गया था। आते वक्त नेहा थोड़ी बहुत भीग गई थी तो उसे ठंड लगने लगी। उसने राहुल से कहा- यार, आज कुछ ज्यादा ही ठंडा नहीं कर रहा एसी? प्लीज इसे बंद करा दो ना।
राहुल- हां, ठंड तो मुझे भी लग रही है लेकिन अभी तो कोई दिख नहीं रहा जिससे बंद करने के लिए बोलूं। चलो हम लोग बाहर बालकनी में बैठते हैं। आज बाहर का मौसम भी अच्छा ही है।
दोनों क्लास रूम के बाहर बालकनी में आ गए और कुछ देर तक बिना बातचीत किए बारिश की बूंदों को देखते रहे। कुछ देर बाद राहुल ने कहा- यार, आज कहीं घूमने चलें। देख न मौसम कितना अच्छा है और आज तो क्लास भी चलने से रही। चल आज जामिया चलते हैं। मेरा असाइनमेंट भी पूरा हो जाएगा और तफरी भी हो जाएगी। क्या कहती हो?
नेहा- तुम हमेशा अपने काम के लिए मुझे यहां-वहां ले जाते रहते हो, मैं कब से कह रही हूं कि मुझे एक बार जेएनयू जाना है। हम वहां नहीं चल सकते आज?
राहुल- हां, चल सकते हैं। पहले जामिया चलते हैं, वहां कुछ देर का काम है। निपटा कर सीधे जेएनयू चल देंगे। शाम होने से पहले दोनों काम निपट जाएगा।
नेहा को प्लान पसंद आया। दोनों ने काॅलेज बंक करने का प्लान बनाया और आॅटो कर जामिया चल दिए। बारिश भले ही हुई थी लेकिन उमस की वजह से गर्मी में कोई कमी नहीं थी। कुछ दूर चलने के बाद ही राहुल को प्यास लग आई। उसने नेहा से पूछा- तुम्हारे पास पानी है क्या?
नेहा- नहीं।
राहुल- इतने बड़े-बड़े दो बैग लेकर चलती हो, एक बाॅटल पानी नहीं रख सकती इसमें।
नेहा- तुम भी इतना बड़ा बैग लेकर चलते हो, तुम नहीं रख सकते पानी? और मेरा बैग पहले से ही बहुत भारी है, इसमें और कोई सामान नहीं रख सकती मैं।
राहुल- आखिर रखती क्या हो तुम इस बैग में कि इतना भारी हो जाता है?
नेहा- तुम्हें हर बात बताना जरूरी नहीं है मेरे लिए। अपना काम करो तुम, समझे।
अब तक आॅटो डीएनडी फ्लाईओवर के पास पहुंच गई थी। इस रास्ते में महारानी बाग तक जाम लगना आम बात है। अगर आप एम्स तक जा रहे हैं तो पीक आॅवर में आश्रम तक जाम का सामना करना ही पड़ता है। नेहा-राहुल की आॅटो भी पिछले दस मिनट से महारानी बाग वाले कट पर जाम में फंसी हुई थी। गर्मी से दोनों का बंुरा हाल था। गर्मी में आते ही नेहा का गुलाबी चेहरा लाल हो जाता। पसीने की बूंदें उसे भले ही परेशान करती हों लेकिन, उसके चेहरे पर आई लालिमा उसे और भी आकर्षक बना देती। राहुल ने नेहा की नजर बचा के कई बार पसीने और गर्मी से लाल हो चुके उसके चेहरे को देखने की कोशिश की। लाल हो चुके उसके चेहरे पर उसकी बड़ी-बड़ी आंखें ऐसे चमकतीं जैसे उसके चेहरे को किसी ने सुर्ख लाल गुलाबों से ढंक दिया हो और आखों की जगह दो चमकते हुए मोती रख दिए हों।
राहुल अपनी दुनिया में खोया हुआ था तभी आॅटो वाले ने आवाज लगाई- भाई साब, झुलेना वाली रोड पर चलना है या मथुरा रोड पर ले लूं आॅटो?
राहुल अचानक जैसे नींद से जागा और बोला- नहीं... नहीं, झुलेना की ओर ले लो। जामिया मेन गेट पर पहुंच कर उन्होंने आॅटो छोड़ दिया और अपने काम में लग गए।
दो बजे के करीब काम खत्म होने के बाद दोनांे ने आॅटो किया और जेएनयू चल दिए। राहुल ने 24x7 ढाबे पर आॅटो रुकवाई और वहां से दोनों पैदल ही कावेरी हाॅस्टल की ओर चल दिए। बाहर की तुलना में जेएनयू कैंपस में गर्मी कुछ कम महसूस हो रही थी। चारों ओर हरियाली और पेड़-पौधों की वजह से कैंपस में घूमना वैसे भी अच्छा ही लगता है।
कुछ दूर चलने के बाद नेहा ने राहुल से कहा- पता है... और कुछ हो न हो लेकिन पढ़ाई हमेशा अच्छे काॅलेज से ही करनी चाहिए।
राहुल ने उसकी बात पर सहमति में सिर हिला दिया फिर कुछ दूर तक दोनों बिना कुछ बोले ही चलते रहे।
कावेरी हाॅस्टल के सामने पहुंचते ही राहुल सामने बने लाॅन में जाकर लेट गया। नेहा भी उससे कुछ दूरी पर जाकर बैठ गई। राहुल ने कहा- इतनी दूर क्यों बैठी हो, थोड़ा नजदीक भी आ सकती हो। मैं कुछ गलत नहीं करूंगा तुम्हारे साथ।
नेहा- मैं ठीक हूं... तुम अपना काम करो, ज्यादा बकवास करने की जरूरत नहीं है, समझे।
राहुल लेटे-लेटे नेहा को निहारता रहा। कुछ देर बाद नेहा ने ही पूछा- अच्छा, तुमने शादी के बारे में क्या सोचा है?
राहुल- सोचना क्या है? जो अच्छी लगेगी उससे कर लूंगा।
नेहा- तुम्हारे घर वाले दबाव नहीं डाल रहे तुम पर... शादी के लिए?
राहुल- हां, डाल तो रहे हैं लेकिन, पता नहीं कुछ तय हो नहीं पा रहा। वो तो कहते हैं अगर कोई पसंद है तो कर लो।
नेहा- हुम्म.....तो कोई पसंद है?
राहुल- अब क्या कहूं.... तुम्हे तो पता है कि हमारे यहां शादी का एक फुल प्रूफ सिस्टम है जिसमें आप एक भी स्टेप इधर-उधर नहीं कर सकते। लड़के की जाति, घर-बार, उम्र, नौकरी, आमदनी और शक्लो-सूरत के हिसाब से लड़की खोजी जाती है। मैच होने पर ही बात आगे बढती है।
नेहा- तो तुम क्या चाहते हो?
राहुल- मेरे चाहने से क्या होगा। यहंा तो प्यार होने नहीं दिया जाता, क्योंकि बचपन से ही बताया जाता है कि ये एक गुनाह है और ऐसा करने वालों को इज्जत-प्रतिष्ठा सहित रिश्ते-नातों से हाथ धोना पड़ता है। पहले तो डर के मारे कोई प्यार करता नहंी और अगर कर भी लेता है तो किसी से बताता नहीं। जब तक शादी के लिए घर वाले दबाव नहीं डालते चोरी-चुपके प्यार चलता रहता है और शादी तय होते ही लड़की कह देती है- मैं सिर्फ अपनी खुशी के लिए घर वालों को बदनाम नहीं कर सकती। फिर मेरी छोटी बहन भी तो है, उसका क्या होगा। हर राम कहानी का यही अंत होता है।
नेहा- तो तुम्हें क्या लगता है कि ऐसा सिर्फ लड़कों के साथ ही होता है?
राहुल- मैं ऐसा कहां कह रहा हूं। लड़कियों का भी यही हाल है। लड़की के रूप-रंग, उसकी पारिवारिक हैसियत के मुताबिक घर वाले जिस वर को चुनते हैं वो खुशी-खुशी उसे स्वीकार करती है। मां-बाप द्वारा चुने गए पति के घर को अपना संसार मानकर जीवन गुजार देती है, क्योंकि दुनिया का यही नियम है और दुनिया ऐसे ही चलती है। ये भी निश्चित कर दिया गया है कि शादी के बाद जीवन में प्यार की सारी संभावना खत्म हो जाएगी, क्योंकि पति को पत्नी से और पत्नी को पति के अलावा अब किसी और से प्यार हो ही नहीं सकता। और अगर होता है तो इससे बड़ा कोई पाप नहीं।
इतना बोलते-बोलते राहुल की आंखें लाल हो गईं। वो गुस्से में आ गया। तभी उसे महसूस हुआ कि वो कुछ ज्यादा ही बोल गया। वो एकदम से चुप हो गया और नेहा की ओर देखने लगा। उसने पाया कि नेहा तो अपने मोबाइल में उलझी हुई है और वाट्सऐप पर किसी के चैट का जवाब दे रही है। राहुल को नेहा का ये व्यवहार बुरा तो बहुत लगा लेकिन, बिना कुछ बोले वो फिर से लाॅन की घास पर लेट गया।
राहुल के चुप होने के चंद सेकेंड बाद नेहा ने अपना मोबाइल बंद करते हुए पूछा- तो.... अब क्या करोगे तुम? प्यार किया नहीं और सिस्टम वाली शादी तुम्हें पसंद नहीं। ऐसे तो अकेले ही रह जाओगे?
राहुल ने नेहा की आंखों में देखा और कुछ सोचने लगा। कुछ देर चुप रहने के बाद राहुल ने कहा- चलो, अब चलते हैं। कम से कम मेट्रो स्टेशन तक तो तुम साथ दोगी ही मेरा... आगे की जिंदगी के बारे में फिर कभी बात करेंगे...

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